जिंदा जमीर वाले जननेता हुकुमसिंह कराड़ा

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हेमंत आर्य। देश की आजादी के बाद समाजसेवा का सबसे सशक्त माध्यम बनी राजनीति, पिछले कुछ समय के दौरान व्यवसाय में तब्दील हो चुकी है। अपने व्यावसायिक लाभों और उल्टे सीधे कामों को बेरोकटोक संचालित करने के लिए माफियाओं ने भी राजनीति में प्रवेश कर उसे अपनी ढाल बना लिया है। धन बल और बाहु बल के इतने दूषित राजनीतिक माहौल में भी कुछ चुनिंदा नेता हैं जो झूठ, फरेब की राजनीति से दूर है जिनका जमीर (आत्मा) अभी भी जिंदा हैं। जो राजनीति को आज भी व्यवसाय नहीं समाजसेवा का माध्यम मानकर ही लोगों की सेवा करते हैं। जिंदा जमीर वाले इन्हीं चुनिंदा नेताओं में एक नाम है मध्यप्रदेश शासन के पूर्व कैबिनेट मंत्री व शाजापुर से 5 बार विधायक निर्वाचित होने वाले श्री हुकुम सिंह कराड़ा का।
उल्लेखनीय है कि परिवार, खानदान का एक व्यक्ति कोई चुनाव क्या जीत जाए, उस नेता के रिश्तेदारों को शासन-प्रशासन के नियम-कायदों को तोड़कर सरकारी योजनाओं की बंदरबांट करने और नोट छापने का लायसेंस मिल जाता है। लेकिन 25 साल तक शाजापुर के विधायक और इस दौरान करीब 8 साल मध्यप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहने के बावजूद श्री कराड़ा ने उनके रिश्तेदार-नातेदार तो दूर, पार्टी के पदाधिकारियों को भी अनावश्यक रूप से कभी सरकारी दफ्तरों में नहीं भटकने दिया। अपने कार्यकाल के दौरान श्री कराड़ा ने सरकारी दफ्तरों में नियमानुसार काम करने वाले कर्मचारियों को कभी परेशान नहीं होने दिया, लेकिन आम लोगों को जबरन परेशान करने वाले शासकीय सेवकों को दंडित करने से वे चूके भी नहीं। इसी कारण उनके 25 वर्षीय कार्यकाल में आम लोगों के साथ ही नियमानुसार काम करने वाले सरकारी कर्मचारी भी अपने आपको सशक्त और सुरक्षित महसूस करते थे। यही श्री कराड़ा के कार्यकाल की सबसे प्रमुख विशेषता है, जो उन्हें अन्य जन प्रतिनिधियों से अलग बनाती है। बेबाक तरीके से सच को सच और झूठ को झूठ कह पाने के कारण ही श्री कराड़ा की गिनती जिंदा जमीर वाले नेताओं में होती हैं।
नर्मदा मैया लाने वाले भागीरथ हैं कराड़ा
वैसे तो अधिकांश जन प्रतिनिधि चुनाव जीतने के बाद अपने क्षेत्र में विकास के प्रयास करते हैं, शासन और प्रशासन से लड़कर महत्वपूर्ण योजनाओं, परियोजनाओं व विकास कार्यों को अपने क्षेत्र में लाने की कोशिश भी करते हैं। कुछ जन प्रतिनिधि इन प्रयासों में कामयाब हो जाते हैं और कई नाकाम भी, क्योंकि सीमित धन राशि के कारण बड़ी परियोजनाएं सभी क्षेत्रों में एक साथ नहीं पहुंचाई जा सकती। शाजापुर जिले को ऐसी ही एक ऐतिहासिक परियोजना की सौगात देने वाले जन प्रतिनिधि भी श्री कराड़ा ही है। पूर्व जल संसाधन मंत्री कराड़ा शाजापुर जिले में नर्मदा परियोजना लाकर क्षेत्र के भागीरथ बन गए हैं।
गत वर्ष 30 अप्रैल 2024 का दिन शाजापुर जिलेवासियों के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया था और ऐतिहासिक बन गया। जल संसाधन मंत्री रहते हुए किए गए श्री कराड़ा के अथक और भागीरथी प्रयासों से इस दिन मां नर्मदा का पानी शाजापुर जिले के मक्सी तक पहुंचा। करीब साढ़े 4 साल लंबे इंतजार के बाद मां नर्मदा का शाजापुर जिले में आगमन होने से क्षेत्रवासियों के चेहरे खिल उठे थे। नर्मदा परियोजना की पहली सफल टेस्टिंग शाजापुर विधानसभा के मक्सी में की गई। इसके बाद यहां से शाजापुर और जिले के विभिन्न क्षेत्रों में पाईप लाईन बिछाने और पंपिंग हाउस बनाने का काम शुरू हो गया। मां नर्मदा का जल शाजापुर जिला मुख्यालय सहित विभिन्न ग्रामीण अंचलों में पहुंचाने का कार्य भी तीव्र गति से चल रहा है।
गौरतलब है कि 28 दिसंबर 2019 को कांग्रेस सरकार के तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री श्री जयवर्धन सिंह एवं जल संसाधन मंत्री श्री कराड़ा ने नर्मदा-क्षिप्रा लिंक प्रोजेक्ट के तहत इंटकवेल का भूमिपूजन शाजापुर के लालघाटी पर किया था। उस समय प्रोजेक्ट की लागत करीब 2215 करोड़ रूपए थी, जिसे बाद में योजना के विस्तारित होने से करीब 2500 करोड़ रूपए तक कर दिया गया था। योजना के तहत करीब 170 किलो मीटर लंबी पाईप लाईन बिछाकर मां नर्मदा को शाजापुर और मक्सी तक लाया जाना था। भूमिपूजन के समय मां नर्मदा का पानी शाजापुर और मक्सी तक लाए जाने में करीब 277 करोड़ रूपए खर्च होना बताया गया था। तत्कालीन जल संसाधन मंत्री कराड़ा ने प्रोजेक्ट के तहत वर्ष 2022 तक मां नर्मदा का जल शाजापुर जिले में लाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन कांग्रेस सरकार गिर जाने के कारण योजना की रफ्तार धीमी पड़ गई थी।
लगातार लड़ते रहे कराड़ा
कांग्रेस सरकार गिर जाने के बावजूद श्री कराड़ा क्षेत्र की इस महति जीवन दायिनी योजना को लेकर लगातार प्रदेश की भाजपा सरकार से सवाल-जवाब करते रहे और योजना को ठंडे बस्ते में नहीं जाने दिया। हालाकि कराड़ा के मंत्री नहीं होने से परियोजना के तहत मां नर्मदा का जल शाजापुर जिले तक आने में ज्यादा समय लग गया, लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई। गत विधानसभा चुनाव के पूर्व उन्होंने क्षेत्र के पत्रकारों को भी योजना के प्रमुख स्थलों का भ्रमण और निरीक्षण कराया था। कराड़ा के भागीरथी और अथक प्रयासों का ही परिणाम था कि 30 अप्रैल 2024 को मां नर्मदा का जल शाजापुर जिले के मक्सी तक पहुंच सका। अब जल्द ही शाजापुर जिला मुख्यालय पर भी योजना के तहत मां नर्मदा का आगमन होगा।
हर क्षेत्र में दिखेगा असर
प्रोजेक्ट पूरा होने और मां नर्मदा का जल शाजापुर जिला मुख्यालय सहित विभिन्न ग्रामीण अंचलों में पहुंचने के बाद योजना का असर हर क्षेत्र में दिखेगा। पानी की पर्याप्त उपलब्धता होने से क्षेत्र के किसान अपनी फसलों की भरपूर पैदावर वर्ष में कम से कम 3 बार ले सकेंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इसी प्रकार पानी की पर्याप्त उपलब्धता होने से क्षेत्र में उद्योग, धंधे भी फलने फूलने लगेंगे, इससे युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। इसी प्रकार अल्प वर्षा होने पर भी शाजापुर का चीलर बांध हमेशा लबालब भरा रहेगा, जिससे शहरवासियों को पेयजल संकट से मुक्ति मिल जाएगी।
सादगी का दूसरा नाम कराड़ा
उल्लेखनीय है कि पिछले करीब 5 दशकों से शाजापुर विधानसभा सहित जिले में कांग्रेस राजनीति के केंद्र बिंदु रहे कराड़ा अपनी सादगी और बेदाग छवि के कारण क्षेत्र में पहचाने जाते हैं। यही कारण रहा कि पिछले 8 विधानसभा चुनावों से कांग्रेस लगातार कराड़ा को शाजापुर से चुनाव लड़ाती आ रही है। 8 विधानसभा चुनावों में कराड़ा ने 5 मर्तबा जीत दर्ज कर कांग्रेस का विजय परचम फहराया, जबकि 3 चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। गत वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में तो वे महज 28 वोटों से पराजित घोषित किए गए। कराड़ा जैसा सहज और बेदाग छवि वाला विधायक क्षेत्रवासियों को मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। क्षेत्र में भैया के नाम से मशहूर कराड़ा की सादगी और सहजता के विरोधी भी कायल हैं।
विरोधियों को अपना बनाने की कला में महारथ हासिल होने के कारण ही कराड़ा पिछले करीब 5 दशकों से शाजापुर की कांग्रेस राजनीति के केंद्र बिंदु बने हुए हैं। विरोधियों की परवाह किए बगैर कराड़ा ने जनहित का अपना अभियान लगातार जारी रखा है। 2 अप्रैल 2025 को जीवन के 69 बसंत पूर्ण करने जा रहे कराड़ा को देखकर आसानी से कहा जा सकता है कि उनमें अभी भी जनसेवा का जज्बा बरकरार है।
लगातार 4 विधानसभा चुनाव जीते
क्षेत्र की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले कराड़ा ने अपना पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 1988 में लड़ा, जिसमें उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। इसके बाद वर्ष 1993 में हुए दसवीं विधानसभा के चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज कर अपना विजय रथ आगे बढ़ाया और इसे वर्ष 1998, 2003, 2008 के विधानसभा चुनावों में लगातार जारी रखा। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा तो 2018 में फिर उन्होंने जबर्दस्त वापसी की थी। वहीं गत वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में कराड़ा महज 28 वोटों से पराजित घोषित किए गए। राजनीतिक जीवन में गांव के सरपंच से लेकर कैबिनेट मंत्री तक का सफर तय करने वाले कराड़ा की छबि क्षेत्र में आज भी बेदाग जनप्रतिनिधि के रूप में है।
5 दशकों की राजनीति में बेदाग छवि 
वर्तमान राजनीति में जहां आए दिन विभिन्न दलों के जनप्रतिनिधियों के किसी न किसी घपले घोटाले में शामिल होने की खबरें सामने आती रहती है, ऐसे में करीब 5 दशक के सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार का कोई भी दाग कराड़ा के दामन पर नहीं है। इसे उनके राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि भी कहा जा सकता है कि उन्होंने काजल की कोठरी में रहते हुए भी अपने दामन को बेदाग रखा। शासन-प्रशासन दोनों स्तर पर कराड़ा का दामन साफ सुथरा है। यही कारण है कि विगत करीब 20 वर्षों से प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद शासकीय कर्मचारियों के डाक मत पत्रों की गिनती में कराड़ा को बढ़त मिलती रही है।
भले ही श्री कराड़ा 2023 का चुनाव हार गए हो, लेकिन नर्मदा मैया का पानी शाजापुर जिला मुख्यालय सहित आसपास के अंचलों तक लाने के कारण उनका नाम क्षेत्र में हमेशा अमर रहेगा। मध्यप्रदेश की भाजपा-कांग्रेस राजनीति में शाजापुर विधानसभा की पहचान ही श्री कराड़ा के नाम से बन चुकी है। उनकी सादगी और बेदाग छबि की हुकुमत आज भी लोगों के दिलो दिमाग पर है, जो आगामी कई दशकों तक रहेगी। जीवन के 69 बसंत पूर्ण करने पर हिंदुस्तां टाईम न्यूज परिवार कराड़ा के स्वस्थ्य दीर्घायु जीवन की कामना करता है।

                     हेमंत आर्य
Hindusta Time News
Author: Hindusta Time News

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