हेमंत आर्य। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बुधवार 16 अप्रैल को शाजापुर आ रहे हैं। करीब 1 साल बाद शाजापुर आ रहे सिंह को आखिरकार शाजापुर में नया ठिकाना मिल ही गया। लालघाटी स्थित कोठी का विकल्प ढूंढने में उन्हें काफी लंबा समय लगा, लेकिन फिर भी उनकी तलाश पूरी नहीं हो सकी। अंततः मन मारकर उन्हें बेरछा रोड़ स्थित जनाधार विहीन ठिकाने पर जाने को मजबूर होना पड़ेगा। दिग्विजय सिंह स्वयं ठाकुर है, लेकिन फिर भी ना जाने क्यों वे इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं कि ठिकाने सिर्फ खानदानी ठाकुरों के ही होते है व्यापारियों के नहीं।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2023 तक लालघाटी स्थित स्व. मनोहर सिंह जी की कोठी कांग्रेस के सभी गुटों के दिग्गज नेताओं का ठिकाना हुआ करती थी। इसका प्रमुख कारण यह था कि स्व. सिंह सर्वहारा वर्ग के जमीनी नेता थे और अविभाजित शाजापुर जिले सहित आसपास के क्षेत्र में उनका खासा प्रभाव था। स्व. सिंह के रहते हुए कांग्रेस के प्रदेश और देश के दिग्गज नेता, मंत्री, मुख्यमंत्री शाजापुर आते तो कोठी पर आवभगत करा चुके हैं। स्व. सिंह के बाद उनके ज्येष्ठ पुत्र श्री योगेंद्र सिंह बंटी बना ने भी कोठी पर कांग्रेस नेताओं की काफी आवभगत की और पार्टी के लिए काफी पैसा और समय बर्बाद किया, लेकिन जब लक्ष्मी जी की चकाचौंध में कोई भी वरिष्ठ कांग्रेसी कोठी का मान नहीं रख पाया तो उन्होंने गत वर्ष भाजपा का दामन थाम लिया।
बंटी बना के भाजपा में शामिल होने के बाद गुटों में बटी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को जिला मुख्यालय शाजापुर पर ऐसे व्यवस्थित ठिकाने की तलाश थी, जहां से शाजापुर और आगर जिले सहित आसपास क्षेत्र की राजनीति को नियंत्रित किया जा सके। करीब 1 साल लंबी जद्दोजहद के बाद भी जब कांग्रेसियों को ऐसा कोई व्यवस्थित ठिकाना नहीं मिला, जहां से दोनों जिलों सहित आसपास की राजनीति को नियंत्रित किया जा सके तो थक हारकर उन्हें ग्राम पंचायत के पंच पद पर ही समझौता करना पड़ रहा है। यह पद भी अमूमन खाली ही रहता है या इस पद पर जबरन किसी का निर्विरोध निर्वाचन करा दिया जाता है।
पूर्व मुख्यमंत्री श्री सिंह 16 अप्रैल बुधवार दोपहर 2 बजे शाजापुर में अल्प संख्यक समाज द्वारा आयोजित सद्भावना सम्मेलन में भाग लेंगे। यह कार्यक्रम शहर के चौंबदारवाड़ी वारसी मोहल्ला में आयोजित किया जाएगा। इसके बाद शाम 4 बजे बेरछा रोड़ स्थित एक कांग्रेस नेता के निवास पर ‘युवा संवाद’ कार्यक्रम में शामिल होंगे। विदित रहे कि उक्त कांग्रेस नेता एक समय में सिंधिया गुट के झंडाबरदार रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह के उक्त नेता के निवास पर पहुंचने से भले ही उस नेता का कद तो बढ़ जाएगा, लेकिन सिंह के कद का क्या ? यह एक ऐसा प्रश्न है जिस पर कार्यक्रम तय करने वाले नेताओं को गंभीरता से विचार करना चाहिए था।
बहरहाल ‘युवा संवाद’ कार्यक्रम किसी नेता के निवास पर आयोजित कराने के बजाए सार्वजनिक स्थल या होटल गार्डन में भी आयोजित किया जा सकता था, लेकिन आयोजकों की इसके पीछे क्या मंशा है ये वे ही जाने। जब कांग्रेसियों को कोठी का विकल्प एक साल में नहीं मिल पाया तो आगे भी इसकी संभावना नहीं के बराबर ही है। अब देखते हैं कि शाजापुर में कब तक और कितने कांग्रेस नेता अपने कद से समझौता करते हैं …?

Author: Hindusta Time News
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