राकेश अचल। मुझे ज्यादा अंग्रेजी नहीं आती, बस जैसे-तैसे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की तरह काम चला लेता हूं। जब छोटा था तब स्प्रिट का मतलब उस रसायन को मानता था जो डॉक्टर मरीज को इंजेक्शन लगाने से पहले बांह या कुल्हे पर रगड़ते थे। बड़ा हुआ तो स्प्रिट को नशे के रूप में पहचाना, लेकिन स्प्रिट का सही हिंदी अर्थ पत्रकारिता में आने के बाद जान पाया। हमारे यहां कोई भी क्षेत्र हो सबसे ज्यादा स्पोर्ट्स मैन स्प्रिट के सहारे आगे बढ़ता है। हिंदी वाले स्प्रिट को भावना कहते हैं। बड़े बूढ़े अक्सर कहते थे जो करो खेल भावना से करो। खेल भावना शायद तमाम भावनाओं में सबसे ज्यादा सात्विक होती होगी। तभी तो राजनीति हो, समाजसेवा हो, नौकरी हो, व्यवसाय हो, सब जगह इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। कोई इस भावना का इस्तेमाल करता है तो कोई नहीं करता।
पिछले एक दशक से देश में स्पोर्ट्समैन स्प्रिट की जगह नेशनलिज्म स्प्रिट से काम करने को कहा जा रहा है, लेकिन 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम नरसंहार के बाद देश के खून में सिंदूर क्या मिला तमाम स्प्रिट्स हल्की पड़ गई। संसद के मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर हुई लंबी बहस का जवाब देते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने ऐलान किया है कि अब भारत सिंदूर स्प्रिट से चलेगा। चूंकि मोदी जी ने आव्हान किया तो कम से कम देश की आबादी के बीस-पच्चीस फीसदी अंधभक्त तो सिंदूर स्प्रिट से काम करना शुरू कर देंगे। सिंदूर स्प्रिट दरअसल स्प्रिट का नया ब्रांड है, इसलिए आप चौंकिए नहीं। मुझे एक ही आशंका सता रही है कि मोदी जी के आव्हान के बाद देश में कहीं अचानक से सिंदूर के भाव न बढ जाएं। मोदी जी भूल गए शायद कि बंगाल हो या बिहार युगों से सिंदूर स्प्रिट से काम करते हैं। अब पूरे देश में सिंदूर स्प्रिट का खेला चलेगा। मुमकिन है कि जनता बाद में इस सिंदूर स्प्रिट को कहीं ‘मोदी’ स्प्रिट न कहने लग जाए। हमारे यहां भेड़ चाल लोकप्रिय जो है, संस्कृत वाले इसे ‘महाजने येन गत:स पंथ’ कहते हैं’।
आपको बता दें कि हमारे यहां स्प्रिट यानि भावना के अनेक प्रकार हैं। सबसे ज्यादा कोमल धार्मिक भावना होती है, जो मामूली सी बात से आहत यानि हर्ट हो जाती है। हमारे लंकेश पंडित जी बताते थे कि स्प्रिट या भावना (spirit) को दार्शनिक, आध्यात्मिक या मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझा और समझाया जा सकता है। भावना के प्रकार को सामान्य रूप से निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है। भारत में भक्ति भावना बहुत प्रबल मानी जाती है। ईश्वर या उच्च शक्ति के प्रति समर्पण और श्रद्धा इसका मूल तत्व है। प्रचलित भावनाओं में प्रेम और करुणा भावना सभी प्राणियों के प्रति प्रेम और दया के संदर्भ में प्रयोग की जाती है। हमारे यहां एक मानसिक/भावनात्मक भावना (Emotional Spirit) भी होती है। एक रचनात्मक भावना (Creative Spirit) भी होती है। हिंदू दर्शन में आत्मा (आत्मन) को अनंत और अजर-अमर माना जाता है, जो विभिन्न भावनाओं का आधार है। भावनाएं हकीकत में मानव मन की स्थिति हैं, जो सकारात्मक (खुशी, प्रेम) या नकारात्मक (क्रोध, भय) हो सकती हैं। विभिन्न संस्कृतियों में “स्प्रिट” का अर्थ अलग हो सकता है, जैसे उत्सव की भावना।
हम तो अब सिंदूर स्प्रिट का अध्ययन कर रहे हैं। मुझे तय करना पड़ेगा कि मैं स्पोर्ट्स मैन स्प्रिट से ही चिपका रहूं या फिर सिंदूर स्प्रिट से लिखूं ? आजकल सिंदूर को लेकर महिलाओं में मतैक्य नहीं है। कुछ मांग में चुटकी भर सिंदूर भरती हैं तो कुछ रत्ती भर। कुछ बीच मांग में सिंदूर भरती हैं तो कुछ सांकेतिक ढंग से सिंदूर वापरतीं हैं। बिहार में महिलाएं नाक तक सिंदूर लगा लेती हैं तो बंगाल में तो सिंदूर खेला ही हो जाता है। मोदी जी का सिंदूर प्रेम जगजाहिर है। उनकी तो रगों में गर्म सिंदूर प्रवाहित हो रहा है। डॉक्टर परेशान हैं, क्योंकि अभी तक चिकित्सा विज्ञान में सिंदूरी खून की जांच की कोई पैथोलॉजिकल किट तैयार नहीं की गई है। बहरहाल सिंदूर स्प्रिट देश की अधिमान्य स्प्रिट हो चुकी है इसलिए इसका सम्मान कीजिए।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

Author: Hindusta Time News
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