आज से नए दौर में प्रवेश करेगा मोदी युग

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राकेश अचल। संसद के मानसून सत्र की समाप्ति के साथ ही देश में 2014 से शुरू हुआ मोदी युग आज से एक नए दौर में प्रवेश करने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए इस नए दौर में घर के भीतर और घर के बाहर इतनी चुनौतियां सीना ताने खड़ी दिखाई देंगी, जिनकी कल्पना कम से कम मोदी जी ने तो की ही नहीं होगी। जिस देश की जनता ने तमाम प्रतिबद्धताओं को धता दिखाकर मोदी जी को अपनी पलकों पर बैठाया था, आज वही जनता सड़कों पर और जनता के प्रतिनिधि संसद में ‘वोट चोर-गद्दी छोड़’ के नारे लगा रहे हैं और मोदी जी स्थितिप्रज्ञ होकर इन नारों को सुन रहे हैं।
मोदी जी का स्वागत करने वालों की भीड़ में शायद मैं भी रहा हूं, लेकिन आज मेरी पूरी सहानुभूति मोदी जी के प्रति है। क्योंकि जो जनता कल तक मोदी जी पर लट्टू थी, आज उसके तेवर बदले हुए हैं। जनता अब 56″ के सीने वाले मोदी जी के सामने अपने तीर-कमान हो चुके सीने तानकर उन पर वोट चोरी का आरोप लगा रही है। ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ का नारा यद्यपि कांग्रेस का नारा था, लेकिन अब ये लोक व्यापी हो गया है। मुझे पूरा यकीन है कि मोदी जी इस नारे से न डरेंगे और न गद्दी छोड़ेंगे। वे अपने हनुमान गृह मंत्री अमित शाह को साथ लेकर पूरी ताकत से विपक्ष से और देश की जनता से लडेंगे। मोदी जी के पीछे लठसंघियों की लाखों की फौज के साथ ही दुनिया की सबसे ज्यादा सदस्यों वाली भाजपा के कार्यकर्ता हैं, जो सड़कों पर उमड़ रहे जन सैलाब को टिड्डी दल की तरह समाप्त कर देंगे। मोदी जी संसद के मानसून सत्र के समापन से पहले 130वां संविधान संशोधन विधेयक ले आए हैं। इस विधेयक से इस बात की भनक तो मिल रही है कि वे विरोधियों को उसी तरह जेलों में ठूंसने का इंतजाम कर चुके हैं, जिस तरह पचास साल पहले देश पर 19 महीने का आपातकाल लादकर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया था।
आपको याद होगा कि मोदी जी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो नेहरू को गरियाकर जन समर्थन हासिल करते आए हैं, लेकिन उनका ये अस्त्र-शस्त्र अब मोथरा हो चला है। मोदी जी के कहने पर अब जनता ताली और थाली बजाने को तैयार नहीं है। मोदी जी की सत्ता जिन दो बैशाखियों पर टिकी है, उनमें से एक में अलोकप्रियता की दीमक लग चुकी है। मोदी जी से अब अकेले लोकसभा और राज्य सभा में विपक्ष के नेता ही सवाल नहीं कर रहे, अपितु माननीय सर्वोच्च न्यायालय भी सवाल कर रहा है कि ‘यह अदालत संविधान का ही एक अंग है’। यदि एक संवैधानिक संस्था बिना किसी वैध कारण के अपना काम नहीं कर रही है तो फिर क्या अदालत को यह कहना चाहिए कि ‘हम शक्तिहीन हैं और हमारे हाथ बंधे हैं, हमें कुछ तो निर्णय करना होगा’। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि ‘हर समस्या का समाधान सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही किया जाए ये जरूरी नहीं है’। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर हो रही सुनवाई के दौरान ये तर्क दिया। केंद्र ने कहा कि ‘कुछ मुद्दों पर मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के साथ बातचीत होनी चाहिए’। सरकार ने कहा कि ‘हर मामले में न्यायिक समाधान के बजाए राजनीतिक समाधान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए’। ये सुनवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा अप्रैल में विधेयकों को पारित करने की समय सीमा तय किए जाने के बाद राष्ट्रपति ने रेफरेंस भेजकर कोर्ट से कुछ सवाल पूछे थे।
मोदी जी जिस उग्रता के साथ केंद्रीय राजनीति में आए थे, आज वही उग्रता उन्हें विपक्ष की ओर से देखने को मिल रही है। पिछले 11 साल में मोदी जी ने विपक्षी एकता में सेंध लगाकर अपना अश्वमेघ यज्ञ जारी रखा, लेकिन अब बिहार में उनका अश्वमेघ का घोड़ा वोट चोरी के आरोप में रंगे हाथों पकड़ा जा चुका है। मोदी जी घोड़े पर सवार हैं, लेकिन घोड़े की रास यानि लगाम लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के हाथ में है। ठिठके हुए घोड़े को राहुल गांधी के चंगुल से छुड़ाना बहुत आसान नहीं है। अब आधी से ज्यादा संसद और आधी से ज्यादा भाजपा मोदी जी के साथ नहीं है। कांस्टीट्यूशनल क्लब के चुनाव में भाजपा की बंद मुठ्ठी खुल गई है। मोदी विरोधी रूढी ने राहुल गांधी से सार्वजनिक रूप से हाथ मिलाकर ये साबित कर दिया है कि वे भाजपा में मोदी द्वारा उपेक्षित लोगों का नेतृत्व करने जा रहे हैं। जैसे मोदी जी ने कांग्रेस के दुर्ग में सेंध लगाने के लिए शशि थरूर को तोड़ा था, उसी तरह कांग्रेस भी भाजपा के रूडी को तोड़कर मोदी जी के दुर्ग में सेंध लगाने में कामयाब हो गई।
नए मोदी युग में जो भी होगा वो सब अप्रत्याशित होगा। या तो विपक्ष की कमर टूटेगी या फिर मोदी जी की। फैसला जनता करेगी। जनता अब तक मोदी जी के हर कारनामें पर, हर फैसले पर मौन थी, लेकिन यही मौन अब मुखरता में तब्दील हो गया है। मोदी के साथ आज भी ऐसे समर्थकों की भीड़ है जो 500₹ लीटर पेट्रोल खरीदने को तैयार है, लेकिन उसे मोदी चाहिए। मोदी जी की ब्रांड वेल्यू का पता बिहार में चलेगा। तब तक के लिए मोदी जी और उनके प्रतिद्वंदी राहुल गांधी को शुभकामनाएं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

“श्री राकेश अचल जी मध्यप्रदेश के ऐसे स्वतंत्र लेखक हैं जिन्होंने 4 दशक (40 साल) तक अखबारों और टीवी चैनलों के लिए निरंतर काम किया। देश के प्रमुख हिंदी अखबार जनसत्ता, दैनिक भास्कर, नईदुनिया के अलावा एक दर्जन अन्य अखबारों में रिपोर्टर से लेकर संपादक की हैसियत से काम किया। आज तक जैसे टीवी चैनल से डेढ़ दशक (15 सालों) तक जुड़े रहे। आकाशवाणी, दूरदर्शन के लिए नियमित लेखन किया और पिछले 15 सालों से स्वतंत्र पत्रकारिता तथा लेखन कर रहे है। दुनिया के डेढ़ दर्जन से अधिक देशों की यात्रा कर चुके अचल ने यात्रा वृत्तांत, रिपोर्टज, गजल और कविता संग्रहों के अलावा उपन्यास विद्या पर अनेक पुस्तकें लिखी हैं। उन्हें अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान भी मिले हैं”।
Hindusta Time News
Author: Hindusta Time News

27 Years Experience Of Journlism

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