राकेश अचल। मेरे हिसाब से दुनिया के अधिकांश देश अपनी भाषा पर गर्व करने के लिए भाषा दिवस मनाते हैं, लेकिन हिंदुस्तान में मनाया जाने वाला हिंदी दिवस अकेला ऐसा दिन है जब हिंदी की हिंदी की जाती है। किसी की हिंदी करना जुमला भी है, कहावत भी और मुहावरा भी।
भारत में 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है और आज से ही एक हिंदी पखवाड़ा भी मनाया जाता है। ये दिन हिंदी वाले कम अंग्रेजी वाले सरकारी प्रतिष्ठान ज्यादा मनाते हैं, क्योंकि उनकी हिंदी लाख प्रयासों के बाद भी नहीं सुधरी। वे आज भी हिंदी की हिंदी करते हैं। आप किसी की हिंदी करें, इससे पहले हिंदी दिवस के बारे में जान अवश्य लें। हमें पढ़ाया जाता था कि हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है, क्योंकि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में अपनाने का निर्णय लिया। इसी दिन महान हिंदी साहित्यकार राजेंद्र सिंह जी (कुछ लोग बीबी राव और काका कालेलकर जैसे नेताओं का भी नाम लेते हैं) के प्रयासों से यह फैसला हुआ था। बाद में 1953 से यह दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। कोई भी दिवस सोद्देश्य होता है। हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य भी लोगों में हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता और गर्व पैदा करना है। प्रशासन, शिक्षा और तकनीक में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देना, भारतीय संस्कृति और एकता में भाषा की भूमिका को उजागर करना था। हिंदी दिवस के लिए हर संस्था के पास बजट होता है। वे इस बजट को खर्च करने की विवशता के चलते हिंदी दिवस मनाते हैं। वैसे
सरकारी कार्यालयों, विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और सांस्कृतिक संस्थाओं में विशेष कार्यक्रम होते हैं। निबंध, कविता, भाषण प्रतियोगिताएं होती हैं। बेचारे उन हिंदी साहित्यकारों और लेखकों को सम्मानित किया जाता है जो किसी सलाहकार समिति के सदस्य नहीं बन पाते। हिंदी दिवस पर सोशल मीडिया और जनसंपर्क के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार पर ज़ोर दिया जाता है। ध्यान रहे कि हिंदी भारत की राजभाषा है, न कि राष्ट्रीय भाषा। ग्यारह साल से भारत में स्वदेशी सरकार है फिर भी भारत में हिंदी “राष्ट्रीय भाषा” घोषित नहीं हो सकी, क्योंकि ये पंडित जवाहरलाल नेहरू की गलती है।
वैसे दुनिया वाले 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस मनाते हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 20 मार्च को फ्रेंच भाषा दिवस मनाया जाता है और 5 मई को पुर्तगाली भाषा दिवस, 23 अप्रैल को स्पेनिश भाषा दिवस, 7 जुलाई को स्वाहिली भाषा दिवस मनाया जाता है। कहते हैं कि दुनिया के 190 देश अपनी भाषा के सम्मान में भाषा दिवस मनाते हैं। हम हिंदी दिवस पर विशेष सावधानी बरतते हैं कि हमारी हिंदी में कहीं अंग्रेजी, उर्दू, फारसी, अरबी, भिंडी, बुंदेली भाषा के शब्द न आ जाएं, लेकिन वे नहीं मानते आ ही जाते हैं। इसीलिए हिंदी अब हिंदी न होकर हिंदुस्तानी भाषा हो गई है। इसे बोलते सब हैं, लेकिन आज भी महाराष्ट्र हो या तमिलनाडु, वहां हिंदी की हिंदी धडल्ले से की जाती है। कोई हिंदी का संरक्षक नहीं है। हालांकि हमारी भाजपा सरकारों के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेई हों या नरेंद्र भाई मोदी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हिंदी बोलकर अच्छे अच्छों की हिंदी कर देते हैं।
हिंदी दिवस पर यदि आपने हिंदी या किसी दूसरी भाषा की हिंदी नहीं की तो आपको हिंदी सेवी माना ही नहीं जा सकता। आजकल केंद्र सरकार खुद हिंदी की हिंदी कर रही है। ऐसे हिंदी विद्वानों को अपने मंत्रालयों की सलाहकार समितियों में रखा जाता हैं जिनकी अपनी हिंदी माशाअल्लाह है। बहरहाल हम हिंदी हैं, हिंदुस्तानी हैं। हमें अपनी हिंदी पर, हिंदुस्तानी होने पर गर्व है। जय हिंदी !, जय हिंदुस्तान।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

Author: Hindusta Time News
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