क्योंकि गांधी तुम असली मुद्दा हो

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राकेश अचल। आजादी के ठीक चार महीने बाद ही मौत के घाट उतार दिए गए महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी 78 साल बाद भी देश की सत्ता के लिए, सियासत के लिए असली मुद्दा बने हुए हैं। गांधी के सिर्फ रूप बदलते रहते हैं, लेकिन वे मरते नहीं हैं।
महात्मा गांधी (जिन्हें नागपुरी दुरात्मा कहते हैं।) 30 जनवरी 1948 को कत्ल कर दिए गए थे, लेकिन हैरानी की बात ये है कि वे 2 अक्टूबर 2025 में भी जिंदा हैं। उनके नाम बदल गए हैं, रुप बदल गए हैं। आज के गांधी भले ही गुजराती नहीं हैं, लेकिन सरकार उनसे भयभीत है। दिल्ली में पैदा हुए राहुल गांधी (जिनका महात्मा गांंधी से कोई रिश्ता नहीं है) को भी गोली मारने की धमकियां सत्तारूढ दल के आधुनिक नाथूराम गोडसे दे रहे हैं और लद्दाख के गांधी सोनम वांग्चुक को सरकार ने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा बताकर जोधपुर जेल में बंद कर दिया है। दरअसल गांधी किसी शरीर का नाम नहीं है। गांधी राजनीति में ‘अनंग’ का दूसरा नाम है, जो होकर भी नहीं है और नहीं होकर भी घर-घर में एक विचारधारा के रूप में विद्यमान है। ये गांधी सत्याग्रह और अनशनों के जरिए आज भी सरकार की नींद हराम करने पर आमादा है। कभी वोट अधिकार यात्रा के रूप में तो कभी लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने के लिए अनशन के रूप में।
आज के गांधियों का मुकाबला करने में नाकाम सरकार कभी किसी गांधी को मारने के लिए किसी को सुपारी दे रही है तो कभी खुद एनएसए का इस्तेमाल करने पर मजबूर है। इसीलिए कहावत बनी ‘मजबूरी का नाम महात्मा गांधी’, लेकिन इस कहावत को हमारे अग्रज प्रोफेसर पुरूषोत्तम अग्रवाल ने बदल दिया है। वे जोर देकर कहते हैं कि महात्मा गांधी मजबूरी का नहीं, बल्कि मजबूती का नाम है।
प्रोफेसर अग्रवाल की बात में वजन इसलिए है क्योंकि महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चलकर ही जहां देश में राहुल गांधी वोट चोरी और संविधान बचाने को लेकर विपक्ष के साथ देशभर में आंदोलन कर रहे हैं। वहीं सोनम वांगचुक लेह-लद्दाख में अपनी मांगों को लेकर आंदोलन चलाते हुए जेल पहुंच गए हैं। दोनों गांधीवादी लोग सरकार के लिए मुसीबत बने हुए हैं। सोनम आसान लक्ष्य थे इसलिए गिरफ्तार कर लिए गए, लेकिन राहुल गांधी आसान लक्ष्य नहीं हैं। इसलिए उन्हें अब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका। लद्दाख के सोनम पर चीन और पाकिस्तान परस्त होने का आरोप है और राहुल गांधी पर भी कमोवेश यही आरोप हैं, लेकिन राहुल के खिलाफ एनएसए लगाने की हिम्मत सरकार में है नहीं। इसीलिए राहुल को गोली मारे जाने का विकल्प चुना गया है। इसके लिए बाकायदा प्रिंटू महादेव को जिम्मेदारी दे दी है। प्रिंटू महादेव ने राहुल के सीने में गोली उतारने की बात कही, लेकिन उनके खिलाफ न कोई मुकदमा दर्ज हुआ और न किसी ने उनकी गिरफ्तारी ही की है।
भाजपा और सरकार राहुल गांधी को रास्ते से हटाने के लिए महीनों पहले से माहौल बना रही है। राहुल पर सुरक्षा घेरे को तोड़ने और सुरक्षा एजेंसियों को बिना बताए विदेश जाने का आरोप लगा रही है, ताकि जब ऑपरेशन प्रिंटू महादेव को अंजाम दिया जाए तो कोई सरकार पर ऊंगली न उठा पाए।
हाल की घटनाओं से ये प्रमाणित हो गया है कि भाजपा और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के मन से गांधी संज्ञा, गांधी सर्वनाम और गांधी विशेषण को लेकर जो घृणा है वो पिछले 78 साल में कम होने के बजाए बढी है। सरकार और भाजपा को न गांधी नाम पसंद है और न गांधीवाद। गांधीवादी तो बिलकुल भी नहीं। मुश्किल ये है कि सरकार गांधी के खिलाफ और न गांधीवाद के खिलाफ कोई फतवा जारी कर सकती है न 132वां संविधान संशोधन ला सकती है। सरकार के पास एक ही विकल्प है कि या तो गांधियों को मौत के घाट उतारो या फिर जेलों में ठूंसो, समर्थकों पर गोलियां चलाओ।
कल 2 अक्टूबर को असली गांधी की जयंती है। देश के लिए मौका है कि वो आज के गांधियों और गांधीवादियों को सुरक्षा दे, क्योंकि उनकी जान सचमुच खतरे में हैं। पहले गांधी को प्रार्थना सभा में मारा गया, फिर प्रधानमंत्री आवास में घुसकर। तीसरी बार गांधी चुनाव सभा में मारे गए। चौथे, पांचवें, छठवे गांधी के लिए हत्यारे पग-पग पर घात लगाए बैठे हैं। ‘देश बचाओ, गांधीवाद बचाओ’। गांधी ही लोकतंत्र की जरुरत हैं, गोडसे और प्रिंटू महादेव नहीं। महात्मा गांधी के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

“श्री राकेश अचल जी मध्यप्रदेश के ऐसे स्वतंत्र लेखक हैं जिन्होंने 4 दशक (40 साल) तक अखबारों और टीवी चैनलों के लिए निरंतर काम किया। देश के प्रमुख हिंदी अखबार जनसत्ता, दैनिक भास्कर, नईदुनिया के अलावा एक दर्जन अन्य अखबारों में रिपोर्टर से लेकर संपादक की हैसियत से काम किया। आज तक जैसे टीवी चैनल से डेढ़ दशक (15 सालों) तक जुड़े रहे। आकाशवाणी, दूरदर्शन के लिए नियमित लेखन किया और पिछले 15 सालों से स्वतंत्र पत्रकारिता तथा लेखन कर रहे है। दुनिया के डेढ़ दर्जन से अधिक देशों की यात्रा कर चुके अचल ने यात्रा वृत्तांत, रिपोर्टज, गजल और कविता संग्रहों के अलावा उपन्यास विद्या पर अनेक पुस्तकें लिखी हैं। उन्हें अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान भी मिले हैं”।
Hindusta Time News
Author: Hindusta Time News

27 Years Experience Of Journlism

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