राकेश अचल। कोई माने या न माने, लेकिन भाजपा के राजहंसों की जोड़ी टेंशन में भी है और अटेंशन भी है। भाजपा के भाग्यविधाता माने जाते हैं ये दोनों राजहंस। आप इन्हें पिछले ग्यारह साल से निशि याम यानि 24×7 काम करते देख रहे हैं। ये जोड़ी आराम को हराम और राम को तामझाम समझती है।
एक तरफ भाजपा के राजहंस जहां बिहार विधानसभा चुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस जोड़ी ने अपने गृह राज्य गुजरात में अपनी पलटन में अचानक आमूल चूल परिवर्तन कर दिया है। एक साथ दो मोर्चों पर काम करने वाली भाजपा अकेली पार्टी है। भाजपा भारत में अपने साम्राज्य का सूरज किसी भी दशा में डूबने नहीं देना चाहती, ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह। भाजपा बिहार विधानसभा चुनावों में सहयोगी दलों के प्रति पल बदलते तेवरों से परेशान है, लेकिन इस परेशानी को छिपाने की नाकाम कोशिश भी की जा रही है। भारतीय जनता पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए आक्रामक प्रचार अभियान की रणनीति बनाई है। जिसके तहत राज्य के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में शीर्ष राष्ट्रीय नेताओं की एक टीम तैनात की गई है। एनडीए को निर्णायक जीत दिलाने के लिए ‘मिशन बिहार’ नाम से शुरू किए गए इस चुनाव प्रचार अभियान में आपको पार्टी के दिग्गज नेता पश्चिमी चंपारण से लेकर कोसी के महत्वपूर्ण गढ़ तक के क्षेत्रों में नजर आएंगे।
भाजपा ने बिहार चुनाव के लिए अपने जिन 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है, उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल, केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह के नाम शामिल हैं। इनके अलावा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडनवीस, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता के नाम भी शामिल हैं। स्टार प्रचारकों में पिछला आम चुनाव हार चुकी स्मृति ईरानी, के अलावा केशव प्रसाद मौर्य, साध्वी निरंजन ज्योति, पवन सिंह, मनोज तिवारी, रवि किशन, दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ के नाम भी शामिल हैं।
स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल अन्य नामों में दिलीप कुमार जयसवाल, सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, रेनू देवी, प्रेम कुमार, नित्यानंद राय, राधा मोहन सिंह, सतीश चंद्र दुबे, राज भूषण चौधरी, अश्विनी कुमार चौबे, रविशंकर प्रसाद, नंदकिशोर यादव, राजीव प्रताप रूडी, संजय जयसवाल, विनोद तावड़े, बाबूलाल मरांडी, प्रदीप कुमार सिंह, गोपालजी ठाकुर और जनक राम हैं। अभी ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस सूची में नहीं डाला गया है। भाजपा के राजहंसों की जोड़ी ने पिछले चार साल से गुजरात में खड़ाऊ राज कर रहे मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मंत्रिमंडल के सभी 16 मंत्रियों के इस्तीफ़ा ले लिए और नए मंत्रियों को भी आनन फानन में शपथ दिलवा दी। आपको याद दिला दें कि गुजरात विधानसभा चुनाव अभी दो साल दूर हैं, लेकिन राज्य के सभी मंत्रियों से इस्तीफ़ा लेकर राजहंसों ने सत्ता प्रतिष्ठान विरोधी लहर को अभी से थामने की शुरुआत कर दी है।
गुजरात में किए गए परिवर्तन से भाजपा शासित दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री भी सचेत हो गए हैं। खासतौर पर उप्र के मुख योगी आदित्यनाथ। तलवार तो मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों पर भी लटक रही है, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव तक उन्हें शायद नहीं हटाया जाएगा। मप्र और हरियाणा भ्रष्टाचार और पुलिस के आचरण को लेकर सुर्खियों में है। भाजपा के राजहंस राजनीति के कीचड़ में खड़े हैं। दोनों को नीर क्षीर विवेक से स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। आरएसएस की बढ़ती बदनामी ने भी भाजपा के राजहंसों की नींद उड़ा रखी है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

Author: Hindusta Time News
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