राकेश अचल। बिहार विधानसभा चुनाव के बहाने हम ‘जंगल राज’ बनाम राम राज पर बात कर पा रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बिहारियों को बीस साल पुराने लालू के शासनकाल को ‘जंगल राज’ बताकर आगाह कर रहे हैं। बता रहे हैं कि लालू यादव के ‘जंगल राज’ में 34 नरसंहार हुए थे।
शाह साहब के इतिहास ज्ञान को हम कभी चुनौती नहीं देते। वे इतिहास के छात्र होने के नाते जो कहते हैं वो कितना सच और कितना झूठ होता है, ये देश को पता है। बात जंगल राज बनाम राम राज की हो रही है। देश में 11 साल से और बिहार में 20 साल से रामराज है, लेकिन न देश में नरसंहार रुके हैं और न बिहार में। बिहार में तो पहले चरण का मतदान होने से पहले ही हत्याकांड शुरू हो चुका है। हमारे मानस में जंगल राज और राम राज की तो कल्पना है, लेकिन कानून के राज की कोई छवि नहीं है। भाजपा राम राज की बात करती है तो कांग्रेस कानून के राज की। जंगल राज की बात कोई नहीं करता। हर राज राम राज और कानून का राज होता है, उसे जंगलराज में तब्दील हमारे माननीय नेता करते हैं। राजनीतिक दल करते हैं। जंगल राज हो या राम राज किसी का कोई लिखित संविधान नहीं होता। लिखित संविधान केवल कानून के राज का होता है। जंगल राज में जंगल के राजा शेर का अलिखित कानून चलता है और रामराज में राजा राम का अलिखित कानून। कानून के राज को चलाने के लिए एक लिखित कानून जरूर होता है, लेकिन उसकी बखिया भी जब चाहे तब उधेड़ दी जाती है। आज की जनरेशन बखिया का मतलब शायद न समझती हो, इसलिए बता दें कि बखिया को स्टिचिंग कहा जा सकता है।
आज देश में न जंगल राज है और न राम राज। न कानून का राज है और न सुकून का राज। आज देश मोदी राज से संचालित है। जिसका अपना कानून है, अपना संविधान है, अपना निशान है। यदि मणिपुर जल रहा है तो जंगल राज नहीं कह सकते आप। ये मोदी राज की उपलब्धि है। यदि यूपी में मुसलमान के घरों पर बुलडोजर चल रहा है तो ये योगी राज की उपलब्धि है। इसमें न कहीं राम राज है और न कानून का राज। हमारे पास कानून के राज की भी परिभाषा है और रामराज की भी। कानून का राज जनता का, जनता द्वारा, जनता के लिए बना राज होता है। राम राज का यद्यपि कोई लिखित संविधान नहीं है, लेकिन राम राज के कुछ लक्षण हैं जो रामचरित मानस में दर्ज हैं। गोस्वामी तुलसीदास राम राज के बारे में लिखते हैं कि-
राम राज बैठे त्रैलोका।
हर्षित भए गए सब सोका॥
बयरु न कर काहू सन कोई।
राम प्रताप बिषमता खोई॥
वरनाश्रम निज निज धरम, निरत वेद-पथ लोक।
चलहिं सदा पावहिं सुखहिं, नहिं भय रोग न सोक॥
दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम राज नहिं काहुहिं व्यापा॥
सबु नर करहिं परस्पर प्रीती।
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥
चारिउ चरन धर्म जग माहीं।
पूरि रहा सपनेहुँ अघ नाहीं॥
रामभगति रत नर अरु नारी।
सकल परम गति के अधिकारी॥
अर्थात रामराज में भी जनता जनार्दन को स्वधर्म पर चलने की छूट थी, लेकिन मोदी राज में या योगी राज में स्वधर्म पर चलने की छूट नहीं है। इन दोनों राज में यदि आप हिंदू हैं तो ही ठीक है अन्यथा आपके लिए ये दोनों ही राज जंगल राज हैं, बुलडोजर राज है।
बिहार की जनता ने कांग्रेस का राज भी देखा है, लालू का राज भी देखा है और नीतिश बाबू का सुशासन भी देखा है। बिहार की जनता को अब मोदी राज देखना है तो वो भी देख ले। वैसे बिहार में अभी मोदी राज की ही छाप है। नीतीश बाबू की तिलक और छाप तो कब की छीनी जा चुकी है। जनता परम स्वतंत्र है, अनुभवी है। उस पर भरोसा किया जाना चाहिए। जनता जो फैसला करेगी, सही फैसला करेगी। शर्त यही है कि केंचुआ और मशीन कोई हरकत न करे।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

Author: Hindusta Time News
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