राकेश अचल। मतदाता सूचियों के विशेष पुनरीक्षण अभियान ने आधार कार्ड की पोल खोलकर रख दी है। पोल ही नहीं खोली बल्कि ये भी प्रमाणित कर दिया कि ये कार्ड तो निराधार है। देश की 97 फीसदी आबादी इसी आधार कार्ड को अपना सब कुछ मानकर बैठी थी, लेकिन अब स्पष्ट हो गया है कि आपका आधार कार्ड आपके भारतीय होने का प्रमाण पत्र नही है।
आपको पता है कि आधार कार्ड भारत सरकार द्वारा भारत के नागरिकों को जारी किया जाने वाला वो पहचान पत्र है जिसमें 12 अंकों की एक विशिष्ट संख्या छपी होती है। अमेरिका के एसएसएन कार्ड की तरह भारत में आधार कार्ड भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (भा.वि.प.प्रा.) जारी करता है। आधार कार्ड में दर्ज 12 अंकों की यह संख्या, भारत में कहीं भी व्यक्ति की पहचान और पते का प्रमाण बताई गई थी। आधार कार्ड के लिए कोई भी व्यक्ति नामांकन करा सकता है, बशर्ते वह भारत का निवासी हो और यू.आई.डी.ए.आई. द्वारा निर्धारित सत्यापन प्रक्रिया को पूरा करता हो। चाहे उसकी उम्र और लिंग (जेण्डर) कुछ भी हो। प्रत्येक व्यक्ति केवल एक बार नामांकन करा सकता है। निःशुल्क बनने वाला आधार कार्ड एक पहचान पत्र मात्र है अर्थात यह नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं है।
कहा जाता है कि आधार कार्ड दुनिया की सबसे बड़ी बॉयोमैट्रिक आईडी प्रणाली है। विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री पॉल रोमर ने आधार को “दुनिया में सबसे परिष्कृत आईडी कार्यक्रम” के रूप में वर्णित किया। आधार को निवास का सबूत माना जाता है, यह किसी भी व्यक्ति की नागरिकता का सबूत नहीं है। आधार स्वयं भारत में निवास के लिए कोई अधिकार नहीं देता है। जून 2017 में गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि आधार नेपाल और भूटान यात्रा करने वाले भारतीयों के लिए वैध पहचान दस्तावेज नहीं है। तुलना के बावजूद भारत की आधार परियोजना संयुक्त राज्य अमेरिका के सोशल सिक्योरिटी नंबर की तरह कुछ नहीं है, क्योंकि इसमें अधिक उपयोग और कम सुरक्षा है।
सवाल ये है कि जब एक लंबी सत्यापन विधि से आधार कार्ड बनता है तो इसे नागरिकता का प्रमाण क्यों नहीं माना जाता। आधार कार्ड अब सभी चीजों के लिए जरूरी होता जा रहा है। पहचान के लिए हर जगह आधार कार्ड मांगा जाता हैं। आधार कार्ड के महत्व को बढ़ाते हुए भारत सरकार ने बड़े फैसले लिए हैं, जिसमें आपके पास आधार कार्ड नहीं है तो वह काम होना मुश्किल होगा। इस कार्ड को कोई ओर इस्तमाल नहीं कर सकता है, जबकि राशन कार्ड समेत कई और दूसरे प्रमाण पत्र के साथ कई तरह की गड़बड़ियां हुई है और होती रहती है। भारत में पासपोर्ट लेने, जारी करने के लिए आधार को अनिवार्य माना गया है। जनधन खाता खोलने, एलपीजी की सब्सिडी, ट्रेन टिकट में छूट पाने के लिए ही नहीं बल्कि परीक्षाओं में बैठने के लिए, बच्चों को नर्सरी कक्षा में प्रवेश दिलाने के लिए, डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र के लिए आधार जरूरी है।
बगैर आधार कार्ड के प्रविडेंट फंड नहीं मिलता। डिजिटल लॉकर के लिए, सम्पत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए, छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति के लिए, सिम कार्ड खरीदने के लिए और आयकर रिटर्न, आपकी वित्तीय/फाइनेंशियल ज़रूरतों को पूरा करने के लिए होम लोन, पर्सनल लोन इत्यादि के लिए भी आधार कार्ड एक बैसाखी है। आधार कार्ड बनाने पर सरकार करीब 9000 करोड रुपए खर्च कर चुकी है, लेकिन यही आधार कार्ड मतदाता सूची में शामिल होने के लिए काम नहीं आता। सवाल ये है कि जिस आधार कार्ड के बगैर आपकी नागरिकता प्रमाण का सबसे बड़ा दस्तावेज पासपोर्ट नहीं बनता है, उसे चुनाव आयोग अस्वीकार क्यों करता है ? आखिर नागरिकता का प्रमाण क्या है ? यदि आधार कार्ड फर्जी बन सकता है तो कौन सा प्रमाण पत्र है जो फर्जी न बनता हो ?
विसंगति ये है कि भारत में जन्मा हर व्यक्ति भारतीय नागरिक तो होता है, लेकिन उसके पास इसका कोई प्रमाण पत्र नहीं होता। जिनका जन्म भारत में हुआ है या जिनके माता-पिता भारतीय हैं, उन्हें नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता। उनकी नागरिकता का प्रमाण जन्म प्रमाण पत्र, आधार, पासपोर्ट, स्कूल रिकॉर्ड आदि से माना जाता है, लेकिन केंचुआ ऐसा नहीं मानता। भविष्य में नागरिकता प्रमाण की या तो नई व्यवस्था की जाए या फिर पासपोर्ट या आधार कार्ड में से किसी एक को भारतीय नागरिकता का प्रमाण माना जाए। क्योंकि हमारे देश में नागरिकता का प्रमाण पत्र सिर्फ उन लोगों को मिलता है, जिन्हें सरकार नागरिकता प्रदान करती है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

Author: Hindusta Time News
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