राकेश अचल। कहने को तो भारत में घरेलू विमानन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू बाजार है। 2025 में यह क्षेत्र प्रतिदिन लाखों यात्रियों को सेवाएं प्रदान कर रहा है, लेकिन बेहतरीन ऑन टाईम परफार्मेंस के भरोसे नंबर वन का खिताब पाने वाली इंडिगो एयर लाईन पिछले दो दिनों से अपने पैसेंजर्स को खूब रुला रही है। भारत में अब न रेलें भरोसे की रहीं न हवाई जहाज, क्योंकि सड़क और रेल सुविधाएं तो पहले से ही विश्व स्तर की घटिया सेवाएं हैं।
दिल्ली हो या मुंबई, लखनऊ हो या पटना, हर एयरपोर्ट से इंडिगो की फ्लाइट धड़ाधड़ कैंसल हो रही हैं। सिर्फ 4 दिसंबर को ही दोपहर 11 बजे तक 272 से अधिक उड़ानें रद्द हो चुकी है। इंडिगो अपने पैसेंजर्स को भले ही इस कैंसलेशन के पीछे सिर्फ ऑपरेशन रीजन बता रही हो, लेकिन इसकी असल वजह कुछ ओर ही है। भारत में हवाई यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन हवाई सेवाएं उस अनुपात में नहीं बढ रहीं। आधिकारिक आंकडों के मुताबिक मार्च 2025 में कुल 1,02,319 घरेलू उड़ानें संचालित हुईं, जो फरवरी 2025 के 92,291 से अधिक है। यह ऐतिहासिक उच्च स्तर है। सूत्रों के मुताबिक भारत में प्रतिदिन औसतन 3,100 से 3,200 उड़ानें संचालित की जाती हैं। उदाहरण के लिए नवंबर 2025 में औसत दैनिक 3,161 उड़ानें थीं, जो पिछले महीने से 8 अधिक हैं। कुल दैनिक उड़ानों (घरेलू+अंतरराष्ट्रीय) में से लगभग 70 फीसदी हैं, लेकिन अब ये आंकड़े गड़बड़ा रहे हैं।
इंडिगो की फ्लाइट में हो रहे डिले और कैंसलेशन के क्राइसिस की असल वजह नई फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट पॉलिसी की प्लानिंग में हुई देरी है। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने जनवरी 2024 में ही एफडीटीएल के संशोधित नियम जारी कर दिए थे। साथ ही डीजीसीए ने इंडिगो सहित सभी एयरलाइंस को साफतौर पर बता दिया था कि एफडीटीएल में हुए बदलाव का दूसरा चरण पहली नवंबर से लागू कर दिया जाएगा। आरोप है कि पर्याप्त समय मिलने के बावजूद इंडिगो ने अपनी तैयारी पूरी नहीं की। एविएशन सूत्रों के मुताबिक एयर लाइंस को अपने क्रू रोस्टर कम से कम 15 दिन पहले फाइनल करने होते हैं। इसी के आधार पर पायलटों की ड्यूटी, आराम समय और उड़ान शेड्यूल सेट किए जाते हैं, लेकिन इंडिगो ने रोस्टर एडजस्टमेंट में देरी कर दी। जब नए नियम लागू होने के करीब समय बचा और डीजीसीए से किसी तरह की रियायत नहीं मिली, तब इंडिगो ने रोस्टर समायोजन का काम शुरू किया। जिससे कई रूट्स पर पायलट और क्रू की उपलब्धता संभव नहीं हो पाई। नतीजा यह हुआ कि इंडिगो की करीब 8 फीसदी उड़ानें प्रभावित हुईं और सैकड़ों कैंसल कर दी गई।
नई एफडीटीएल पॉलिसी में पायलटों के आराम का समय को बढ़ाया गया है। साथ ही रात की उड़ानों पर कुछ पाबंदियां भी लगाई गई हैं। नई एफडीटीएल पॉलिसी में लगातार उड़ान भरने की सीमाएं सख्त की गई हैं। यह बदलाव सुरक्षा के लिए जरूरी था और पायलटों की थकान को कम करने के मकसद से लाया गया था। पायलट्स के अनुसार इन नियमों का मतलब यह नहीं कि एयरलाइंस को पायलटों की संख्या दोगुनी करनी पड़े। जरूरत सिर्फ बेहतर और समय पर प्लानिंग की होती है। इंडिगो की क्राइसिस में यही कमी साफ दिखी। एयरलाइन के पास जनवरी से नवंबर तक लगभग दस महीने का समय था कि वह अपने शेड्यूल, क्रू असाइनमेंट और बैकअप प्लान को नए सिस्टम के हिसाब से तैयार कर ले, लेकिन देर से शुरू की गई तैयारी ने ऑपरेशन को भारी दबाव में डाल दिया। डीजीसीए ने अब इस मामले पर पैनी नजर बनाए रखी है और एयरलाइंस से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। वहीं इंडिगो का कहना है कि वह क्रू रोस्टर को तेजी से स्थिर करने में जुटी है और अगले कुछ दिनों में स्थिति सामान्य हो जाएगी।
हमारे यहां सड़क बस सेवाएं पहले से गड़बड़ हैं। रेलें समय से चलती नहीं हैं। ऐसे में लोग हवाई यात्राओं के प्रति आकर्षित हुए। वर्ष 2024 में कुल 1.63 करोड़ से अधिक यात्री घरेलू उड़ानों से यात्रा कर चुके हैं और 2025 में यह संख्या 8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बढ़ने की उम्मीद है। कुल क्षमता में 8.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मजे की बात ये है कि हवाई उड़ान उद्योग में क्षमता की कमी के बावजूद 2025 में विकास जारी है। वर्ष 2025 में भारत में लगभग 10 प्रमुख यात्री एयरलाइंस घरेलू उड़ानें संचालित कर रही हैं। इनमें फुल-सर्विस कैरियर, लो-कॉस्ट कैरियर और क्षेत्रीय ऑपरेटर शामिल हैं।
कुछ नई एयरलाइंस (जैसे एयर केरला) शुरू हो रही हैं, जो संख्या को बढ़ा सकती हैं। इस समय इंडिगो, एयर इंडिया, स्पाइस जेट, एयर इंडिया एक्सप्रेस, आकाशा एयर, विस्तारा, अलायंस एयर, स्टार एयर फ्लाई विग और जेटविंग्स जैसी कंपनियां अपनी सेवाएं दे रहीं हैं। इनमें सबसे ज्यादा 60 फीसदी हिस्सा इंडिगो का है। गो फर्स्ट जैसी कुछ एयरलाइंस (2023 से निलंबित) को बाहर रखा गया है। क्षेत्रीय एयरलाइंस उड़ान योजना के तहत छोटे शहरों को जोड़ रही हैं। देश में हवाई अड्डों का भी तेजी से विस्तार हुआ है, लेकिन अधिकांश जिला स्तरीय हवाई अड्डों पर हवाई जहाज की जगह चिडियां उड़ती नजर आ रही हैं। हवाई अड्डे शो पीस बनकर रह गए हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

Author: Hindusta Time News
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