राकेश अचल। यदि आप भारत में हैं तो आप कानून को ठेंगे पर रख सकते हैं। किसी को भी सड़क चलते पीट सकते हैं, पिट सकते हैं। कहीं भी पेशाब कर सकते हैं, कहीं भी थूक सकते हैं। कहीं भी अपना वाहन खड़ा कर सकते हैं, क्योंकि भारत में राम राज आ चुका है। छोटे-मोटे कानून तो आपके खिलाफ इस्तेमाल ही नहीं हो सकते। यहां तक कि आप किसी भी मंत्री को, नेता को जान से मारने की धमकी भी आसानी से दे सकते हैं।
ताजा खबर है कि केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री और रांची के सांसद संजय सेठ को जान से मारने की धमकी मिली है। शुक्रवार को फोन करके उन्हें धमकी दी गई है। धमकी देने वाले का पता नहीं चला है, फिलहाल पुलिस इसका पता लगा रही है। केंद्रीय मंत्री और रांची से सांसद संजय सेठ को जान से मारने की धमकी मिलने के बाद सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस को सूचना मिलने के बाद हड़कंप मच गया। पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए जांच शुरू कर दी है। धमकी देने वाले आरोपी की तलाश की जा रही है। संजय सेठ रांची से भारतीय जानता पार्टी के सांसद हैं। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की थी। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने दोबारा जीत दर्ज की। इसका इनाम उन्हें मंत्री पद के रूप में मिला। सेठ तो सेठ ठहरे मध्यप्रदेश विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता रह चुके डॉ. गोविंद सिंह को भी किसी ने फोन कर जान से मारने की धमकी दे डाली। मप्र पुलिस भी इस धमकी को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं है। पूरे देश में यही आलम है। आप दो पक्षों के बीच सरेराह होने वाले झगड़े में बीच बचाव नहीं कर सकते। ग्वालियर में एक ऐसे ही मामले में गुंडों ने एक हेड कांस्टेबल का सिर फोड़ दिया। एक सब इंस्पेक्टर ने भोपाल में दो लड़कियों के साथ सरेआम अभद्रता की, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
हमारे यहां कानून का कोई इकबाल नहीं। हमारी सरकार, हमारी शिक्षा पद्धति पिछले आठ दशक में आम आदमी को सड़क पर बांई तरफ चलना नहीं सिखा पाई, ऊपर से तुर्रा ये कि हम विश्व गुरु बनने वाले हैं। देखने में बात बहुत हल्की लगती है, लेकिन है बहुत बड़ी। बड़ी इसलिए कि ये छोटे-छोटे कानूनों की अनदेखी हमें लगातार असभ्य बना रही है। इसी से घबराकर सालाना दो लाख से अधिक भारतीय विदेशों की नागरिकता ले रहे हैं, लेकिन सरकार को, भाजपा को और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को कोई परवाह नहीं। उन्हें तो हिंदू राष्ट्र बनाना है, भले ही देश अराजक हालात में पहुंच जाए। मेरी पक्की धारणा है कि हम भारतीय शायद ही सभ्य हो पाएंगे। असभ्यता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। कानून का मान मर्दन हमारे लिए मात्र मनोरंजन है। मनोरंजन के सिवाए कुछ नहीं।
महाराष्ट्र में आप हिंदी बोलने पर पीटे जा सकते हैं। मराठियों के बारे में बोलने पर बड़बोले निशिकांत दुबे को भी महाराष्ट्र आने पर पीटने की धमकी दी जा सकती है। संघ प्रमुख जब खुद डर के भीतर अपने आपको असुरक्षित समझते हैं। वे सार्वजनिक रूप से डर की बात कह चुके हैं। बिहार में एक के बाद एक हत्या की वारदात हो चुकी हैं, लेकिन कहीं कोई हलचल नहीं है। बदलाव नही है। प्रधानमंत्री जी ने राष्ट्रव्यापी स्वच्छता अभियान चलवाया। 12 करोड़ से ज्यादा घरों में शौचालय बनवा दिए, लेकिन नतीजा सिफर है। वजह है हमारी मानसिकता, हमारी दंड प्रणाली। हम कचरा फेंकने, सड़क किनारे पेशाब या शौच करने या सार्वजनिक स्थानों पर थूकने या धूम्रपान करने को अपराध मानते ही नहीं, हालांकि हमारे कानून के अनुसार ये सब दंडनीय अपराध हैं। विदेश से स्वदेश की धरती पर पांव रखते ही हमें गंदगी के दर्शन हो जाते है। हवाई अड्डे के बाहर निकलते ही गंदगी और दुर्गंध हमारा स्वागत करती है। सड़कों के दोनों ओर खड़ी खरपतवार और गंदगी के ढेर हमारे सौंदर्यबोध का मुजाहिरा करते हैं।
इस सबके लिए अकेले मोदी जी जिम्मेदार नहीं हैं। नेहरू भी जिम्मेदार हैं, इंदिरा गांधी भी जिम्मेदार हैं। हम सब जिम्मेदार हैं। पुलिस, अदालत, स्थानीय निकाय, स्कूल, सब इस अराजकता के लिए दोषी हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि वो हमारे जन प्रतिनिधियों की रक्षा करे धमकीबाजों से।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

Author: Hindusta Time News
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