कांग्रेस में फूलछाप नेताओं की शिनाख्त.!

[the-subtitle]

SHARE:

हेमंत आर्य। अपने आपको क्षेत्रीय राजनीति का चाणक्य और जरूरत से ज्यादा होशियार समझने वाले नेताओं को इस बार कांग्रेस आलाकमान छकाने में कामयाब हो गया है। संगठन सृजन अभियान के माध्यम से जून माह में मध्यप्रदेश के सभी जिलों में पहुंचे केंद्रीय पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट ने प्रदेश के कांग्रेस नेताओं को लेकर पार्टी हाईकमान के सामने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। संगठन सृजन अभियान के माध्यम से पार्टी हाईकमान ने जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद दावेदारों के साथ ही संबंधित क्षेत्रों के प्रमुख पार्टी नेताओं की पूरी राजनीतिक जन्म कुंडली को भी खंगाल डाला है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान की प्रक्रिया जून माह में हुई थी। इस प्रक्रिया के दौरान कांग्रेस आलाकमान ने संगठन के जिला अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को लेकर प्रदेश के प्रत्येक जिले में पर्यवेक्षकों को पहुंचाया था। पार्टी हाईकमान की इस प्रक्रिया को प्रदेश के कई जिलों में नेताओं ने पूर्व के अभियानों की भांति बहुत हल्के में और सामान्य तरीके से लिया। जबकि हमने पहले भी लिखा था कि राहुल गांधी अब ‘बाबा’ नहीं रहे ‘बाबू’ बन गए हैं। अपनी विश्वसनीय टीम के लोगों को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में मध्यप्रदेश के सभी जिलों में पहुंचाकर राहुल गांधी ने प्रदेश के सभी जिलों के नेताओं का पूरा डाटा कलेक्ट कर लिया है। बताया जाता है कि जुलाई माह में प्रदेश के इन सभी नेताओं के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के विभिन्न खातों को खंगाला गया है। इस दौरान यह देखा गया कि पिछले 5 सालों के दौरान कौन नेता, पदाधिकारी सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ कितना सक्रिय और हमलावर रहा है। साथ ही किस नेता, पदाधिकारी ने सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ कितने प्रदर्शन किए या उनमें भागीदारी की। नेताओं के सोशल मीडिया खातों ने ही कांग्रेस हाईकमान के सामने उनकी पूरी पोल खोलकर रख दी है।
पीढ़ी परिवर्तन जरूरी…
बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश के जिलों में पहुंचे अधिकांश केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट में पार्टी हाईकमान को यह जानकारी दी है कि यहां कांग्रेस को फिर से मजबूत करने के लिए प्रदेश की राजनीति में पीढ़ी परिवर्तन करना बहुत जरूरी हो गया है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में क्षेत्रीय क्षत्रपों के कारण पार्टी को बहुत नुकसान हो रहा है। पार्टी के वोट बैंक से नेता बने क्षेत्रीय क्षत्रपों की छबि अब कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचा रही है। इन नेताओं के कारण जहां पार्टी की नई लीडरशिप नहीं उभर पा रही है, वहीं नया वोट बैंक भी कांग्रेस से नहीं जुड़ पा रहा है। बताया जा रहा है कि पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश के कुछ जिलों में धन बल, बाहु बल की छवि वाले नेताओं के कारण भी पार्टी को नुकसान होने की बात कही है। धन बल की छवि वाले नेताओं के कारण भी कांग्रेस का आम और जमीनी जनाधार वाला कार्यकर्ता पार्टी से दूरी बनाए हुए है। ऐसे नेताओं के कारण भी पार्टी को भारी नुकसान हो रहा है, क्योंकि ऐसे नेताओं के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं में हमेशा अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर असुरक्षा की भावना बनी रहती है। इस कारण कांग्रेस का स्वाभिमानी, निष्ठावान कार्यकर्ता पार्टी से दूर होता जा रहा है, इसलिए ऐसे नेताओं को भी पार्टी की मुख्य धारा से बाहर कर घर बैठाना जरूरी है। जैसा कि राहुल गांधी ने अभियान शुरूआत में ही साफ कर दिया था कि अब पार्टी में रेस के घोड़े, बारात के घोड़े और लंगड़े घोड़ों को अलग करने का समय आ चुका है। ठीक उसी तर्ज पर केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने मध्यप्रदेश में काम किया और एक कदम आगे बढ़ते हुए फूलछाप घोड़ों की रिपोर्ट भी पार्टी हाईकमान को सौंपी थी। इसके अलावा भी केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने कई बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को सौंपी थी, जिसका पिछले एक माह के दौरान पोस्ट मार्टम किया गया।
नियुक्ति को लेकर भ्रम ?
संगठन सृजन अभियान की सभी प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के बाद अब शीघ्र ही मध्यप्रदेश के जिलों में जिला कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति होने वाली है। इस नियुक्ति को लेकर प्रदेश के कई जिलों में कतिपय नेताओं द्वारा कार्यकर्ताओं में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि उन्होंने फलां नाम पर सहमति दे दी है और उनकी सहमति से वो व्यक्ति जिला अध्यक्ष बन जाएगा। जबकि हकीकत यह है कि इस अभियान के प्रारंभ से लेकर अंत तक जिला अध्यक्ष नियुक्ति को लेकर किसी भी क्षेत्रीय नेता से किसी भी पर्यवेक्षक ने न तो कोई नाम मांगे हैं और ना ही कोई सहमति मांगी है। किसी भी दावेदार की सक्रियता और योग्यता ही उसकी नियुक्ति का पैमाना बनेगी। जिस प्रकार स्थानीय नेता अपने रबर स्टांप कार्यकर्ता को जिला अध्यक्ष बनाने का झूठा भरोसा दिला रहे हैं, वैसे ही स्थानीय नेताओं के राजनीतिक आका भी उन्हें आश्वासन ही दे रहे हैं, जबकि नियुक्ति में अभी तक किसी भी नेता की नहीं चली है। बताया जाता है कि प्रदेश के जिलों में जिला अध्यक्ष के रूप में कई चौंकाने वाले नाम सामने आएंगे। ऐसे नेताओं को जिला कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाएगा जो सत्ताधारी दल की नाक में दम करके रख देंगे। इस अभियान के नाम से जुड़े ‘सृजन’ शब्द से ही पार्टी हाईकमान की मंशा का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। ‘सृजन’ मतलब ‘नव सृजन’, मतलब सबकुछ नया पुराना कुछ भी नहीं। बहरहाल अगले आठ दिनों में कांग्रेसियों के दावों की सारी हकीकत सबके सामने आ जाएगी।

                     हेमंत आर्य
Hindusta Time News
Author: Hindusta Time News

27 Years Experience Of Journlism

Leave a Comment