क्या ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ करने चीन जा रहे मोदी जी ?

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राकेश अचल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुड़ खाते हैं, लेकिन गुलगुलों (गुड और आटे से बना पकवान) से नेम (परहेज) करते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि प्रधानमंत्री जी ने ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में बहस के जवाब में सप्रयास चीन का नाम अपनी जबान पर नहीं आने दिया, जबकि विपक्ष ने बार-बार ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन द्वारा पाकिस्तान की मदद करने का आरोप लगाया था। अब खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन का दौरा करेंगे।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री एससीओ बैठक में भाग लेने से पहले 30 अगस्त को जापान की यात्रा पर जाएंगे, जहां वे जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ वार्षिक भारत-जापान शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। वहीं से चीन रवाना होंगे। 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद यह उनकी पहली चीन यात्रा होगी। इसी मुद्दे पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को छिछोरी मानसिकता का नेता कहा गया और चीन पर भारत की जमीन हथियाने का आरोप लगाने पर सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने राहुल को झूठा भारतीय तक कह दिया। आपको याद होगा कि प्रधानमंत्री मोदी आखिरी बार 2019 में चीन के दौरे पर गए थे। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर रूस से तेल खरीदने के लिए निशाना साधा है और भारत पर बिना डील हुए ही 25 फीसदी टैरिफ तथा जुर्माना लगा दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति का दावा है कि यह समूह डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देता है। भारत और चीन दोनों ही ब्रिक्स के सदस्य देश हैं।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक प्रमुख क्षेत्रीय संगठन है, जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे देश शामिल हैं। यह संगठन क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे मुद्दों पर केंद्रित है। इस साल का शिखर सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन में आयोजित होगा, जिसमें 20 से अधिक देशों के नेता और 10 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख भाग लेंगे। इस संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में पिछले दिनों भारत ने संयुक्त वक्तव्य पर दस्तखत नहीं किए थे। विदेश मंत्री एस जयशंकर के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी चीन से खाली हाथ लौट चुके हैं। चीन के राष्ट्रपति से मिल भी नहीं पाए थे। अब कहा जा रहा है कि इस शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक द्विपक्षीय मुलाकात हो सकती है। दोनों नेता आखिरी बार अक्टूबर 2024 में रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मिले थे।
भारत का बच्चा-बच्चा जानता है कि 2020 में गलवान घाटी में हुए सैन्य टकराव के बाद भारत और चीन के संबंधों में तनाव आ गया था। हालांकि हाल के महीनों में दोनों देशों ने अपनी सीमा पर तनाव कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इस बीच प्रधानमंत्री मोदी चीनी सामान के बहिष्कार का वैसा ही खोखला आव्हान कर चुके हैं जैसा उन्होंने हाल ही में बनारस में अमेरीकी माल के बहिष्कार का किया है। मजे की बात ये है कि मोदी जी स्वदेशी को ढाल बनाए हैं, लेकिन वे गलती से भी चीन या अमेरिका का नाम नहीं लेते। मेरा मानना है कि मोदी जी अमेरिका के दबाव से राहत की तलाश में चीन जा जरूर रहे हैं, लेकिन ये वही चीन है जो मोदी जी के प्रिय शत्रु और देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पीठ में छुरा घोंप चुका है। जाहिर है मोदी जी चीन द्वारा हथियाई गई भारत की भूमि मांगने चीन नहीं जा रहे। वे चीन की ओर से भारत के पड़ोसी नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका को दी जाने वाली इमदाद का विरोध करने भी चीन नहीं जा रहे। मुमकिन है कि वे अमेरिका के खिलाफ चीन से मदद मांगने जा रहे हों। मुमकिन है कि वे नेहरू जी का नारा ‘हिंदी चीनी भाई-भाई’ दोहराने जा रहे हों। यदि वे ऐसा करने का प्रयास करते हैं तो वे एक और बड़ी कूटनीतिक गलती करने वाले हैं। चीन कभी भारत का सगा नही हो सकता। चीन तो भारत के शत्रु पाकिस्तान का मित्र है। हमारा मित्र रूस है जो हमसे क्षुब्ध है। बेहतर होता कि मोदी जी चीन के साथ पेंग बढ़ाने के बजाए रुस की यात्रा करते, क्योंकि रूस भी अमेरिका पीड़ित राष्ट्र है। चीन अमेरिका पीड़ित राष्ट्र नहीं है। चीन तो अमेरिका का प्रबल प्रतिद्वंदी है।
बहरहाल भारत की विदेश नीति की बखिया उधेड़ चुके मोदी जी भारत को किस मोड़ पर ले जाकर छोड़ेंगे ये भगवान भी नहीं जानता। वे ‘भेड़िया आया, भेड़िया आया’ की आवाज बार-बार लगाकर हर बार दोस्तों को परेशान करते हैं, लेकिन अब भेड़िया सचमुच आ रहा है और मोदी जी की पुकार सुनकर कोई उनकी यानि भारत की मदद करने नहीं आ रहा।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

“श्री राकेश अचल जी मध्यप्रदेश के ऐसे स्वतंत्र लेखक हैं जिन्होंने 4 दशक (40 साल) तक अखबारों और टीवी चैनलों के लिए निरंतर काम किया। देश के प्रमुख हिंदी अखबार जनसत्ता, दैनिक भास्कर, नईदुनिया के अलावा एक दर्जन अन्य अखबारों में रिपोर्टर से लेकर संपादक की हैसियत से काम किया। आज तक जैसे टीवी चैनल से डेढ़ दशक (15 सालों) तक जुड़े रहे। आकाशवाणी, दूरदर्शन के लिए नियमित लेखन किया और पिछले 15 सालों से स्वतंत्र पत्रकारिता तथा लेखन कर रहे है। दुनिया के डेढ़ दर्जन से अधिक देशों की यात्रा कर चुके अचल ने यात्रा वृत्तांत, रिपोर्टज, गजल और कविता संग्रहों के अलावा उपन्यास विद्या पर अनेक पुस्तकें लिखी हैं। उन्हें अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान भी मिले हैं”।
Hindusta Time News
Author: Hindusta Time News

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