राकेश अचल। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी मुसलमानों के राष्ट्रीय नेता हैं या नहीं ये हम तय नहीं कर सकते, लेकिन ओवैसी की सियासत को देखते हुए हम यकीन के साथ कह सकते हैं कि वे जो हैं सो हैं नहीं। क्योंकि वे कब, किसके साथ खड़े हो जाएं और कब किसके विरोध में बोलने लगें ये वे खुद नहीं जानते।
जनाब ओवैसी ने वादा किया है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगर मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र के साथ “न्याय” करें और “सांप्रदायिकता” को दूर रखें तो उनकी पार्टी बिहार में राजग सरकार को “पूर्ण सहयोग” देगी। हमें ओवैसी साहब के इस ऐलान से कोई हैरानी नहीं हुई। हमें पता था कि वे नीतीश बाबू का समर्थन किए बिना रह नहीं सकते। सीमांचल का विकास तो उनका एक जुमला है। ओवैसी साहब हैदराबाद के सांसद हैं और दौरे बिहार के सीमांचल के कर रहे हैं। सीमांचल बिहार का पूर्वोत्तर क्षेत्र है, जहां से ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के पांच उम्मीदवारों ने हाल के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की है, जो कांग्रेस से एक कम हैं। ओवैसी मुस्कराकर कहते हैं कि “हम पटना में बनी नई सरकार को शुभकामनाएं देते हैं। हम पूरा सहयोग देने का वादा भी कर सकते हैं, बशर्ते वह सीमांचल क्षेत्र के साथ न्याय करे और सांप्रदायिकता को भी दूर रखे”।
आपको याद होगा कि सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सबसे बड़ी साझेदार भाजपा आरोप लगाती रही है कि सीमांचल में बड़े पैमाने पर “घुसपैठ” हो रही है, जिससे क्षेत्र में “जनसांख्यिकीय असंतुलन” पैदा हो रहा है। भाजपा का निशाना मुसलमान हैं। भाजपा ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया। फिर भी नीतीश के मुस्लिम प्रेम की वजह से भाजपा को नीतीश मंत्रिमंडल में एक मुसलमान को जगह देना पड़ी। ओवैसी सफाई देते हैं कि “एआईएमआईएम” सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि सीमांचल में रहने वाले सभी लोगों के लिए लड़ती रही है, जहां दलितों और आदिवासियों की भी अच्छी आबादी है। हम उम्मीद करते हैं कि नई सरकार इस उपेक्षित क्षेत्र पर ध्यान देगी और पटना और राजगीर तक ही सीमित नहीं रहेगी।”
चुनाव में पस्त हुए महागठबंधन पर हमला आसान है, सो ओवैसी ने राजद पर निशाना साधते हुए कहा “यह साबित हो गया है कि जो लोग भाजपा को रोकने के नाम पर मुसलमानों के वोट मांगते हैं, वे उस पार्टी को नहीं रोक पाएंगे। इसलिए जो लोग एमवाई (मुस्लिम यादव) गठबंधन पर भरोसा कर रहे हैं, उन्हें पुनर्विचार करना चाहिए।” उल्लेखनीय है कि राजद ने विधानसभा चुनावों में गठबंधन के लिए एआईएमआईएम के अनुरोध को ठुकरा दिया था। इस बार विधानसभा चुनावों में राजद की सीटें घटकर 25 रह गईं, जो पांच साल पहले के 75 सीटों के आंकड़े का महज एक तिहाई है। ओवैसी को तो सत्ता के साथ रहना है। यदि महागठबंधन जीतता तो ये ही ओवैसी राजद से सशर्त इजहारे मोहब्बत कर रहे होते। ओवैसी का सौभाग्य है कि भाजपा ने अपनी पार्टी से मुसलमानों का सफाया कर दिया और कांग्रेस के पास अभी कोई दूसरा अंतुले या गुलाम नबी पैदा नहीं हो पाया है, इसलिए देश के मुसलमान मजबूरी में ओवैसी को ये जानते हुए ढो रहे हैं कि ओवैसी शुरू से भाजपा की बी टीम हैं। वे लगातार सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई लड़ रही पार्टियों का नुक्सान कर रहे हैं।
हम व्यक्तिगत तौर पर हजरत ओवैसी की वाकपटुता और हाजिर जवाबी के मुरीद हैं, लेकिन हम उन्हें बेकल उत्साही, कैफी आजमी या जावेद अख्तर जैसा जदीद और दरियादिल मुसलमान नहीं मानते। सियासत ओवैसी जी का पुश्तैनी, खानदानी धंधा है, वे इसे छोड़ नहीं सकते। वे मुसलमानों की आंखों में धूल झोंककर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। मुमकिन है कि आप हमारी राय से इत्तफाक न रखें, लेकिन इससे हमारी राय या ओवैसी की छलिया सियासत को लेकर हमारा नजरिया बदलने वाला नहीं है। क्योंकि ओवैसी नीतीश सरकार का समर्थन कर आखिर भाजपा का ही तो सहयोग कर रहे हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

Author: Hindusta Time News
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