राकेश अचल। बीते दिनों भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पाकिस्तान के सिंध प्रांत को भारत में मिलाने को लेकर खूब सुर्खियों में रहे। मोदी मीडिया ने भी कहा कि राजनाथ के बयान से पाकिस्तान को मिर्ची लगी है, लेकिन अरुणाचल प्रदेश को चीन द्वारा अपना भू भाग बताए जाने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौन हैं। पता नहीं कि उन्हें मिर्ची लगी या नहीं, लेकिन एक भारतीय होने के नाते चीन की इस हरकत से हम बेहद क्षुब्ध हैं। आप कह सकते हैं कि हम पिपीलका दाह का अनुभव कर रहे हैं।
अरुणाचल की एक महिला ने दावा किया है कि उनके पास भारतीय पासपोर्ट होने की वजह से उन्हें शंघाई पुडोंग एयरपोर्ट पर चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों ने कई घंटे परेशान किया। उनका दावा है कि उनसे कहा गया कि उनका पासपोर्ट वैध नहीं है। प्रेमा वांगियोम थोंगडोक ने इस मामले को लेकर भारत के विदेश मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी है। उन्होंने लिखा है कि किसी सामान्य नागरिक के साथ इस तरह की घटना नहीं होनी चाहिए। प्रेमा के साथ जो हुआ उसे लेकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इस मामले को लेकर कहा है कि भारतीय नागरिक के साथ होने वाली ये घटना अस्वीकार्य है। उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताया है।
खबर है कि भारत सरकार ने घटना वाले दिन 21 नवंबर को ही बीजिंग और दिल्ली में चीनी पक्ष के सामने इसे लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। वहीं शंघाई में भारत के कॉन्सुलेट ने भी इस मामले को स्थानीय स्तर पर उठाया और प्रेमा की पूरी मदद की है। प्रेमा वांगियोम थोंगडोक का कहना है कि वो भारतीय नागरिक हैं और बीते 14 सालों से ब्रिटेन में रह रही हैं। वे छुट्टी पर लंदन से जापान जा रही थी और उन्हें बीच में ट्रांज़िट के लिए शंघाई में रुकना था। इस दौरान चीन के इमिग्रेशन विभाग के एक अधिकारी उनके पास आए और उन्होंने प्रेमा को कतार से अलग कर दिया। प्रेमा ने कहा “मैंने उनसे पूछा कि ऐसा क्यों किया जा रहा है”। उन्होंने मुझसे कहा “‘अरुणाचल, भारत नहीं चीन में है। आपका वीज़ा स्वीकार्य नहीं है। आपका पासपोर्ट अमान्य है…”। मेरे सवाल करने पर उन्होंने कहा “अरुणाचल भारत का हिस्सा नहीं है, वो मेरा मज़ाक उड़ाने लगे और कहने लगे कि मुझे चीनी पासपोर्ट के लिए आवेदन करना चाहिए।”
प्रेमा कहती हैं ये उनके लिए काफ़ी कंफ़्यूज़िंग था, क्योंकि उन्होंने पहले कभी ऐसा नहीं सुना था। वो कहती हैं “मैं पहले भी शंघाई से बिना किसी समस्या के ट्रांज़िट के ज़रिए गुज़र चुकी हूं, कभी कोई समस्या नहीं हुई”। प्रेमा थोंगडोक को किसी ने सीधे-सीधे कोई जवाब नहीं दिया। वहां उस दिन छुट्टी थी तो लंदन में चीनी दूतावास से संपर्क नहीं कर सकती थी। प्रेमा घंटों तक अपने परिवार से संपर्क नहीं कर सकी। वो खाना तक नहीं खा सकी, उसे टर्मिनल के उस हिस्से से बाहर जाने नहीं दिया गया। प्रेमा लंदन से 12 घंटों का सफर कर के आई थी, उसे आराम करने के लिए भी जगह नहीं दी गई। प्रेमा 58 देशों की यात्रा कर चुकी है और उसने भारतीय पासपोर्ट का ही इस्तेमाल किया है। ये एक वैध दस्तावेज़ है, लेकिन चीन में ऐसा नहीं है।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा “ज़ांगनान चीन का इलाक़ा है। चीन ने अवैध रूप से भारत के बसाए गए तथाकथित “अरुणाचल प्रदेश” को कभी मान्यता नहीं दी है”। माओ निंग ने कहा कि “भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन आज तक मुद्दा सुलझ नहीं पाया”। दोनों देशों के बीच 3,500 किलोमीटर (2,174 मील) लंबी सीमा है। सीमा विवाद के कारण दोनों देश 1962 में युद्ध के मैदान में भी आमने-सामने खड़े हो चुके हैं, लेकिन अभी भी सीमा पर मौजूद कुछ इलाक़ों को लेकर विवाद है जो कभी-कभी तनाव की वजह बनता है। अरुणाचल प्रदेश को समाहित करते हुए भारत की संप्रभुता को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली हुई है। अंतरराष्ट्रीय मानचित्रों में अरुणाचल को भारत का हिस्सा माना गया है। चीन तो तिब्बत के साथ अरुणाचल प्रदेश पर भी दावा करता है और इसे दक्षिणी तिब्बत कहता है। शुरू में अरुणाचल प्रदेश के उत्तरी हिस्से तवांग को लेकर चीन दावा करता था। यहां भारत का सबसे विशाल बौद्ध मंदिर है। अरुणाचल को लेकर चीन के दावे अपनी जगह हैं, लेकिन शंघाई में जो कुछ प्रेमा के साथ हुआ वो अकेले प्रेमा का नहीं बल्कि पूरे भारत का अपमान है।
भारत-चीन के बीच यूं भी चार साल बाद रिश्ते सुधरे तो सीधी हवाई सेवा शुरू हुई, लेकिन इस मामले से लगता है कि चीन सुधरने वाला नहीं है और भारत के पास चीन को सुधारने की कुब्बत भी नहीं है। हमारे रक्षा मंत्री केवल पाकिस्तान का मजाक उड़ा सकते हैं, चीन को आंखें नहीं दिखा सकते। हम आठ साल पहले चीन गए थे, हमारा अनुभव भी यही है कि चीन भारतीय पर्यटकों के साथ उतना सौजन्य नहीं रखता जितना दूसरे देश के पर्यटकों के साथ रखता है। अब देखना है कि राजनाथ सिंध को भारत में मिलाते हैं या अरुणाचल को चीन का होने से बचाते हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

Author: Hindusta Time News
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