विष्णु नागर। अमित शाह ने कहा हैं कि हमारे देश का मीडिया सबसे ईमानदार है। विश्व में नंबर वन है। यदि ऐसा कहा है तो या तो उन्हें सपना आया होगा या हो सकता है कि वे भांग का शौक फरमाते हों और उस दिन कुछ ज्यादा ही शौक फरमा लिया हो ! इस तरह स्वतंत्र भारत के इतिहास में शाह जी को पहले ऐसे गृहमंत्री होने का सौभाग्य हासिल हुआ है, जिन्होंने मीडिया को इतनी बड़ी क्लीनचिट दी है। संभव यह भी है कि उनकी जुबान फिसल गई हो। उनके साथ यह दुर्घटना होती रही है, इसीलिए वे देश के गृहमंत्री भी हैं !
कुछ मित्र कहते हैं कि जिस मीडिया को वह ‘ईमानदार’ बता रहे हैं वह दरअसल गोदी मीडिया है, क्योंकि बाकी मीडिया को तो वह मीडिया मानते ही नहीं ! और इसमें कोई शक नहीं कि यदि गोदी मीडिया किसी के लिए सबसे पहले और सबसे अधिक ईमानदार है तो वह मोदी सरकार है। पिछले साढ़े ग्यारह साल में कोई एक भी ऐसा उदाहरण नहीं बता सकता जब इस मीडिया ने सरकार के साथ बेईमानी की हो, दगा किया हो ! सरकार से बेईमानी करना उसके डीएनए में ही नहीं है। इस प्रमाण पत्र को पाकर रियल वाली ईमानदारी का सिर शर्म से झुक गया हो, तो झुक जाए ! कौन इसकी परवाह करता है ? गृहमंत्री किसी को भी ‘ईमानदारी’ का प्रमाण पत्र दे तो उसे स्वीकार कर लेने में ही भलाई है ! सुधीर चौधरी, अंजना ओम कश्यप, अर्णब गोस्वामी, रुबिका लियाकत, अमीश देवगन जैसे सभी ‘ईमानदारों’ ने इसे पद्मश्री मानकर अब तक लपक लिया होगा। अब इन्हें एंकरिंग के समय इसे अपने गले से लटका लेना चाहिए। इससे इनकी घटती हुई टीआरपी बढ़ जाएगी और रवीश कुमार, अजित अंजुम, अभिसार शर्मा आदि की टीआरपी की हवा निकल जाएगी।
गृहमंत्री ने यह सर्टिफिकेट दिया है तो इसका मतलब है कि इसे असल में प्रधानमंत्री जी ने ही दिया है। क्योंकि ये दोनों दो शरीर हैं, लेकिन एक जान हैं। इस तरह प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का यह प्रमाण पत्र स्वत: सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स विभाग का प्रमाणपत्र भी बन जाता है। पिछले ग्यारह साल का इतिहास इसकी गवाही दे रहा है कि सब पर छापे पड़े, इनके मालिकों पर नहीं! इन्होंने कितनी ही नफ़रत परोसी हो, न इन एंकरों का, न इनके मालिकों का बाल भी बांका नहीं हुआ! कई की खोपड़ी पर तो बाल ही नहीं हैं, तो बांका करने का सवाल ही पैदा नहीं होता ! इसे बार-बार कहा जाना चाहिए कि हमारी सरकार भी ‘ईमानदार’ है और हमारा गोदी मीडिया भी ‘ईमानदार’ है। बल्कि इसे ‘ईमानदार ‘कहना उसके इधर के वर्षों के योगदान को कम करके आंकना है! वह ‘ईमानदार’ से भी अधिक बढ़कर है, जिसके लिए हिंदी में कोई शब्द उपलब्ध नहीं है।
जितनी यह सरकार ‘ईमानदार’ है, उतना ही यह वाला मीडिया भी ‘ईमानदार’ है। न इनमें से कोई ज्यादा ‘ईमानदार’ है, न कोई कम ! दोनों की ‘ईमानदारी’ में एक सूत का भी फर्क नहीं है। इसका मतलब है कि अडानी-अंबानी और सुभाष चंद्रा भी ‘ईमानदार’ हुए, जिनकी वजह से आज गोदी मीडिया को ‘ईमानदारी’ का इतना बड़ा तोहफा मिला है ! ये उतने ही ईमानदार हैं, जितने मोदी जी ईमानदार हैं। और सब जानते हैं कि मोदी जी आजाद भारत के इतिहास के सबसे ‘ईमानदार’ प्रधानमंत्री हैं ! यह बात वह स्वयं भी बार-बार बताते रहे हैं, इसलिए और भी याद रहती है वरना इस तरफ ध्यान भी नहीं जाता ! यानी जो पाले के इस तरफ हैं, सब ईमानदार हैं और जो उस तरफ हैं वे क्या हैं, यह समझने वाले समझ गए हैं और जो ना समझे, वो अनाड़ी है !
वैसे भी बच्चा जब तक गोदी में पलता है तो वह सबसे ज्यादा ईमानदार मां के प्रति होता है, क्योंकि वह अनजान होकर भी इतना जानकार तो होता ही है कि उसकी खुराक दूध का स्रोत उसकी मां है और दूध उसकी सबसे पहली और सबसे बड़ी जरूरत है ! तो गोदी मीडिया भी ऐसा ही सरकार का बच्चा है। इसके साथ दिक्कत यह है कि यह साढ़े ग्यारह साल का हो चुका है। मां का दूध पीने की उम्र से बेहद आगे आ चुका है। फिर भी मां के स्तनों से चिपका है। इतने बड़े बच्चे को कोई मां अपना दूध नहीं पिलाती और न पिला सकती है, लेकिन यह सरकार बहादुर का प्यारा बच्चा है इसलिए उसके स्तनों में दूध नहीं है फिर भी पिला रही है। मानसिक रूप से विकलांग बच्चा कितना ही बड़ा क्यों न हो, उसका ख्याल रखना पड़ता है। साड़ी में बोतल छिपाकर भी मां को दूध पिलाना पड़े, तो वह पिलाती है।
गोदी मीडिया सरकार का दिमागी रूप से अविकसित बच्चा है, लेकिन देश के बड़े बनियों के लिए यह बोझ नहीं वरदान है, वरना वे ऐसे बच्चे को कब के ठिकाने लगा चुके होते! ये बनिये नहीं चाहते कि इस बच्चे का इलाज हो, यह दिमागी रूप से विकसित हो, पांव पर नहीं तो यह घुटनों के बल तो चलना सीखे ! उन्हें डर है कि घुटने के बल चलते-चलते यह कहीं और पहुंच सकता है, दूसरों की संगत में आकर बिगड़ सकता है, विद्रोही बन सकता है। उन्हें मुश्किल में डाल सकता है ! न बनियों को विद्रोह पसंद है, न जिनकी गोद में यह मीडिया पल रहा है, उन्हें ! इसलिए गोदी मीडिया ने 2047 तक गोद में ही रहने का संकल्प लिया है, क्योंकि प्रधानमंत्री का कहना है कि ‘संकल्प से ही सिद्धि’ तक पहुंचा जा सकता है!
(ये लेखक के अपने विचार हैं। कई पुरस्कारों से सम्मानित विष्णु नागर साहित्यकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं। जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।)

Author: Hindusta Time News
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